पड़ोसन की sympathy
✍️नीरेन कुमार सचदेवा
Allopathy हो या homeopathy,
उतना असर नहीं करती जितनी पड़ोसन की sympathy.
हम नासाज़ हो तो पड़ोसन बिना मिले ही रोने लगती है,
कुछ ऐसी है हम दोनो में telepathy .
हम कितने भी हों बीमार,
पड़ोसन की एक नज़र पड़ते ही,
हम हो जातें हैं गुले गुलज़ार ।
पड़ोसन की आँखें हैं magical,
लेकिन उसे देखते ही ना जाने क्यूँ,
हमारी बीवी हो जाती है whimsical.
पड़ोसन को देखते ही ग़ायब हो जाती है,
हमारी हर pain , चाहे severe headache हो या फिर हो migraine .
उसे देखती ही हो जाती है हमारी,
instant healing,
उसे देख आती है,
कुछ अच्छी feeling .
लेकिन अब हमारी बीवी है बहुत angry,
खाना नहीं बना रही,
अब हमें रहना पड़ेगा hungry !
ये बीवियाँ भी होती हैं एक नमूना,
अब बताओ क्या करें हम,
हमारी पड़ोसन दिखती है ऐसी,
जैसी Kareena !
Menfolk ,please ज़्यादा इधर उधर ताँक झाँक करने की नहीं हैं ज़रूरत !! Lockdown का ज़माना है , घर में रह कर करो कसरत।
Written during Covid time.
कवि——-नीरेन कुमार सचदेवा।
Is Covid resurfacing????